एक दौर था जब शेयर बाजार में निवेश केवल एक वर्ग विशेष तक सीमित था, किंतु वर्तमान में इंटरनेट तथा स्मार्टफोन की लोगों तक पहुँच ने एक सामान्य व्यक्ति को भी शेयर बाजार में निवेश करने का अवसर दिया है। शेयर बाजार में अलग-अलग तरीके से निवेश किया जा सकता है, जिनमें कुछ निवेश कम जोखिम भरे हैं, जबकि कुछ में जोखिम एवं लाभ दोनों की अधिक संभावनाएं रहती हैं।आज हम शेयर बाजार में निवेश करने के ऐसे ही एक तरीके के बारे में जानेंगे, जिसके विषय में अधिकांश लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं होती तथा वे निवेश के इन तरीकों से बचते हैं। हम यहाँ बात कर रहे हैं फ्यूचर्स तथा ऑप्शंस (Futures and Options) की, समझेंगे फ्यूचर एवं ऑप्शन क्या हैं?
Derivatives Market (डेरिवेटिव मार्केट) | Future & Option
Future & Option को समझने से पहले जिस बाज़ार में ये उत्पाद खरीदे एवं बेचे जाते हैं उसके बारे में जान लेना आवश्यक है। ये दोनों डेरिवेटिव मार्केट के उत्पाद हैं। डेरिवेटिव उत्पाद ऐसे वित्तीय उपकरण होते हैं, जिनका अपना कोई मूल्य नहीं होता बल्कि उनका मूल्य किसी अन्य वस्तु से निर्धारित होता है। उदाहरण के तौर पर हमारे द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले बैंक नोट का अपना कोई मूल्य नहीं हैं, बल्कि केंद्रीय बैंक द्वारा किसी भी नोट को एक मूल्य किया गया है। यहाँ बैंक नोट एक ऐसा उत्पाद है, जिसक केंद्रीय बैंक द्वारा तय या Derive किया गया है।
साल 2016 में हुए विमुद्रीकरण से हम सब वाकिफ़ हैं, 8 नवंबर की रात को सरकार ने 500 तथा 1000 के पुराने नोट बंद करने का निर्णय लिया, इसके बाद से वे केवल कागज़ का एक टुकड़ा मात्र रह गए। इसके अतिरिक्त यदि सिक्कों की बात करें तो वह डेरिवेटिव उत्पाद नहीं है, क्योंकि उनकी निर्धारित कीमत जिस धातु से वे बने हैं उससे है। डेरिवेटिव अपनी कीमत को उसमें अंतर्निहित परिसंपत्ति जैसे किसी कमोडिटी, स्टॉक, बॉन्ड और मुद्राओं आदि से प्राप्त करते हैं।
डेरिवेटिव उत्पादों के प्रकार:
डेरिवेटिव उत्पाद मुख्य प्रकार हैं:
Forward
Futures
Futures Forward Contracts
Future & Option | फॉरवर्ड अनुबंध किन्हीं दो व्यक्तियों (क्रेता एवं विक्रेता) द्वारा आपस में किया गया एक समझौता है, जिसमें दोनों के मध्य भविष्य में किसी उत्पाद को समझौते में निर्धारित कीमत तथा तारीख पर खरीदने बेचने का अनुबंध होता है। इसका इस्तेमाल किसी उत्पाद की कीमत में आने वाले उतार चढ़ाव से बचने के लिए किया जाता है। इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं, मान लें कोई किसान आलू का उत्पादन करता है, जिसकी फसल एक महीने बाद बाज़ार में बिकने के लिए तैयार होगी, वहीं आलू की वर्तमान कीमत 50 रुपये प्रति किलो है।
किसान को इस बात की आशंका है, कि एक महीने पश्चात जब उसकी फसल तैयार होगी तब फसल का मूल्य 50 रुपये से कम रहेगा, जबकि एक अन्य चिप्स बनाने वाली कंपनी को लगता है आलू के भाव में आने वाले दिनों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। ऐसे में किसान एवं कंपनी दोनों एक समझौता करते हैं, जिसमें यह तय किया जाता है कि एक महीने के बाद के दाम चाहे कुछ भी हों, किसान कंपनी को 50 रुपयों पर अपनी फसल देगा।
शेयर बाज़ार में Future Trading
Future & Option| जिस प्रकार हम अलग अलग वित्तीय उपकरणों जैसे बॉन्ड, शेयर, डिबेंचर्स आदि में निवेश करते हैं, उसी प्रकार डेरिवेटिव में भी निवेश किया जाता है। शेयर बाज़ार में होने वाली फ्यूचर एवं ऑप्शन ट्रेडिंग (Futures and Options) ऐसा ही निवेश है। Future Trading में फ्यूचर अनुबंध की प्रक्रिया अपनाई जाती है तथा स्टॉक एक्सचेंज मध्यस्थ की भूमिका में कार्य करते हैं, ताकि निवेशकों के हितों का संरक्षण किया जा सके।
फॉरवर्ड अनुबंध में हमनें फसल के उदाहरण को लिया, शेयर बाज़ार में फसल के विपरीत किसी कंपनी के फ्यूचर अनुबंध खरीदे या बेचे जाते हैं। शेयर मार्केट में फ्यूचर ट्रेडिंग किस प्रकार की जाती है इसे पुनः एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं। मान लें किसी व्यक्ति A को लगता है कंपनी XYZ, जिसका वर्तमान में एक शेयर 100 रुपये का है, के दाम एक महीने बाद 150 हो जाएंगे तथा व्यक्ति B जो उस कंपनी का शेयरधारक हैं, ठीक इसके विपरीत अनुमान लगाता है।
ऐसे में दोनों एक समझौते पर सहमत होते हैं, जिसके अनुसार यह तय किया जाता है कि एक महीने बाद B अपने XYZ कंपनी के शेयर A को शेयर की वर्तमान कीमत (100 रुपये) पर बेचेगा, भले ही उस समय XYZ के दाम कुछ भी हो। हालाँकि समझौते के अनुसार A को शेयर एक महीने बाद प्राप्त होंगे, किन्तु उसे B को भुगतान समझौते के दौरान ही करना होगा।
गौरतलब है कि अनुबंध की शर्तों का सही तरीके से पालन हो यह सुनिश्चित करने की लिए स्टॉक एक्सचेंज मध्यस्थ की भूमिका में मौजूद रहता है। एक महीने पश्चात A अनुबंध पत्र को B को सौंपता है तथा बदले में B उसे XYZ कंपनी के शेयर देता है। चूँकि एक महीने के बाद A अथवा B में से किसी एक का अनुमान गलत साबित होगा और वह व्यक्ति हानि उठाएगा।
फॉरवर्ड अनुबंध के विपरीत फ्यूचर अनुबंध में A के पास यह विकल्प भी मौजूद रहता है, कि वो अनुबंध पत्र को किसी तीसरे व्यक्ति C को हस्तांतरित कर दे इस स्थिति में एक महीने बाद A के बजाए C, B से शेयर प्राप्त करेगा। शेयर बाज़ार में फ्यूचर अनुबंध तीन अवधियों के लिए बेचे जाते हैं, जिनमें Current Month अथवा वर्तमान महिना, Near Month अर्थात अगला महिना तथा Far Month अर्थात अगले महीने के बाद वाले ने का अनुबंध शामिल है।
सामान्य निवेश से कैसे है Future Trading अलग?
Future & Option|हमनें ऊपर फ्यूचर ट्रेडिंग तथा इसकी कार्यप्रणाली को समझा, ऐसे में यह प्रश्न उठना लाज़मी है, यदि व्यक्ति A को लगता है, एक महीने पश्चात XYZ के शेयर की कीमत 50 रुपये की वृद्धि के साथ 150 हो जाएगी तो व्यक्ति A सीधे बाज़ार से XYZ कंपनी के शेयर क्यों नहीं खरीदता? सीधे तौर पर शेयर न खरीद कर किसी कंपनी का फ्यूचर अनुबंध को खरीदने के दो मुख्य कारण हैं।
पहला कारण : बाज़ार से सीधे शेयर खरीदने के लिए A के पास पर्याप्त धनराशि का उपलब्ध होना जरूरी है, जबकि उसी कंपनी का फ्यूचर अनुबंध व्यक्ति केवल कुछ कीमत देकर खरीद सकता है। इसका कारण व्यक्ति को ब्रोकर द्वारा दिया जाने वाला उधार या Leverage होता है। अधिकांश ब्रोकर अपने ग्राहकों को फ्यूचर ट्रेडिंग में कुल कीमत का 80 से 90 फीसदी तक उधार उपलब्ध करवाते हैं। ग्राहकों को यह सुविधा देकर ब्रोकर उन्हें ट्रेड करने के लिए आकर्षित करते हैं, ताकि प्रत्येक ट्रेड पर सेवा तथा अन्य शुल्कों के रूप में उनकी कमाई हो सके।
दूसरा कारण: सामान्य शेयरों में निवेश करने से प्राप्त हुए मुनाफे पर किसी व्यक्ति को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है, जबकि फ्यूचर तथा ऑप्शन जैसे विकल्पों से प्राप्त मुनाफे को व्यक्ति की आय में शामिल किया जाता है, जिसमें व्यक्ति को आयकर की अलग अलग दरों के अनुसार कर का भुगतान करना होता है। चूँकि आयकर पर व्यक्ति अधिकतम 6.5 लाख (5 लाख + 1.5 लाख निवेश द्वारा) तक की आय में छूट प्राप्त कर सकता है, अतः सीधे शेयर न खरीदकर फ्यूचर अनुबंध लेना कर बचाने के लिहाज से भी एक अच्छा चुनाव है।
Future & Option | पहले जानिए क्या होती है Future Trading?
Future & Option में आप किसी शेयर के डेरिवेटिव्स के जरिए भविष्य की कोई ट्रेडिंग फाइनल करते हैं. भविष्य में आप किसी शेयर को खरीदने या बेचने, किसी भी तरह की ट्रांजेक्शन कर सकते हैं. आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि ऐसा कैसे होता है. मान लीजिए आप XYZ शेयर के फ्यूचर खरीदते हैं. अगर XYZ शेयर की कीमत अभी 100 रुपये है तो उसका फ्यूचर आप करीब 10-20 रुपये में ही खरीद सकते हैं. हालांकि, यहां एक बात ध्यान देनी होगी आपको कम से कम एक लॉट खरीदना होगा. यह लॉट कितने शेयरों का होगा, ये स्टॉक एक्सचेंज की तरफ से अलग-अलग शेयरों के लिए अलग-अलग हो सकता है.
मान लेते हैं कि ये लॉट 1000 शेयरों का होगा, तो आपके पूरे लॉट की कीमत करीब 1 लाख रुपये हो जाती है. हालांकि, जब आप इसे खरीदते हैं तो आपको 10-20 फीसदी यानी 10-20 हजार रुपये ही देने होंगे. फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट 3 तरह के होते हैं. एक होता है इसी महीने का, दूसरा होता है अगले महीने का और तीसरा होता है अगले के भी अगले महीने का. अब आप फ्यूचर्स का मतलब समझ गए होंगे. इसे फ्यूचर्स इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके तहत फ्यूचर की कीमत पर डील की जाती है.
अब एक बार आसान भाषा में समझते हैं. मान लीजिए आप एक किसान हैं और आलू उगाते हैं. हर साल जब आपके आलू की फसल बाजार में जाती है तो उसकी कीमत 5-6 रुपये किलो के हिसाब से मिलती है. इसी बीच कोई आपको चिप्स बनाने वाली कंपनी का कोई मैनेजर मिलता है. आप उससे डील करते हैं कि फ्यूचर यानी भविष्य की एक तय तारीख को आप उसे आलू 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचेंगे. ये सुनकर मैनेजर भी खुश होता है, क्योंकि उसे डर है कि इस बार आलू का उत्पादन कम रह सकता है, जिससे उसे आलू 15 रुपये किलो या उससे भी महंगे मिलेंगे. ऐसे में भविष्य की एक तारीख पर डिलीवरी करने को लेकर उस मैनेजर और किसान के बीच एक डील होगी. यही फ्यूचर ट्रेडिंग है. अब जब डिलीवरी की तारीख आएगी तो बाजार में आलू की कीमत भले ही 10 रुपये हो या 15 रुपये या 5 रुपये, दोनों के बीच जो हुई है उसे पूरा करना जरूरी होगा. यह डील एक थर्ड पार्टी की मौजूदगी में होती है, ऐसे में अगर कोई भी पार्टी डील से भागती है तो थर्ड पार्टी की जिम्मेदारी होगी कि वह दूसरे के नुकसान की भरपाई करे. शेयर बाजार के मामले में यह थर्ड पार्टी स्टॉक एक्सचेंज होते हैं.
शेयर बाजार के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में ये जरूरी नहीं है कि आप उसे डील की एक्सपायरी तक अपने पास रखें. आप चाहे तो उसे बीच में ही किसी दूसरे को बेच भी सकते हैं. यानी अगर एक्सपायरी डेट से पहले ही आपकी फ्यूचर डील के तहत शेयर की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और आपको लगता है कि इसे बेच देना चाहिए तो आप उसे बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं. मान लीजिए आपने XYZ कंपनी के 1000 शेयर 100 रुपये के हिसाब से खरीदे होते और 110 रुपये पर बेच देते. यानी आपको 10 हजार रुपये का मुनाफा होता, लेकिन इतने सारे शेयरों को खरीदने के लिए आपको 1 लाख रुपये खर्च करने होते. वहीं दूसरी ओर फ्यूचर्स में आपको सिर्फ 10-20 फीसदी रकम ही देनी होती है. ऐसे में आप 1 लाख के शेयर सिर्फ 20 हजार रुपये में ही खरीद लेते और आपको उसी से 10 हजार रुपये का फायदा हो जाता. यही वजह है कि लोग फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की तरफ आकर्षित होते हैं. इसके तहत फ्यूचर्स खरीदे भी जा सकते हैं और उन्हें बेचा भी जा सकता है यानी शॉर्ट सेलिंग भी की जा सकती है.
Best Stock Broker for Future & Option Trading
आप विशेष रूप से Future & Option Trading के लिए, एक ऐप चुनना चाहते हैं, तो सच कहें तो, ट्रेडिंग के इस रूप के लिए ऐसा कोई विशेष ऐप नहीं है।
आप किसी भी टॉप मोबाइल ट्रेडिंग ऐप को चुन सकते हैं और इस बात की अधिक संभावना है कि मोबाइल ऐप कॉल और पुट ऑप्शन निवेश के लिए एक श्रेष्ठ ट्रेडिंग अनुभव प्रदान करेगा।
हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए, भारत में कुछ अच्छी तरह से डिजाइन और यूज़र फ्रेंडली मोबाइल ट्रेडिंग ऐप हैं:
•एंजेल ब्रोकिंग ऐप
•मोतीलाल ओसवाल मोबाइल ऐप
•जेरोधा काइट मोबाइल ऐप
ज्यादातर यह सलाह दी जाती है कि अंतिम निर्णय लेने से पहले आप मोबाइल ट्रेडिंग ऐप के डेमो संस्करण / अतिथि लॉगिन के माध्यम से ऐप को समझे क्योंकि विभिन्न ट्रेडर्स की अपनी प्राथमिकताएं हैं।
Future & Option Trading के फायदे
•आपने इस प्रचलित वाक्यांश को बहुत सुना होगा – “उच्च लाभ के लिए उच्च जोखिम की आवश्यकता होती है”।
•बहुत सारे ट्रेडर आपको बताएंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग जोखिम भरा है, लेकिन वे आपको यह नहीं बताएंगे कि यह अत्यधिक लाभदायक भी है।
•आपको ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading in Hindi) रणनीतियों का पालन करते समय कुछ विशिष्ट पहलुओं का ध्यान रखना होगा।
•प्रॉफिट की सीमा आपके जोखिम की क्षमता पर निर्भर करती हैं।
•यहाँ ऑप्शन ट्रेडिंग से होने वाले कुछ बड़े लाभों के बारे में चर्चा की गई है: अनुमान ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) अनुमान लगाने का एक प्रभावी तरीक़ा है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके, ट्रेडर्स भारी मुनाफा कमा सकते हैं और अपने नुकसान को भी सीमित कर सकते हैं।
•ऑप्शन को बचाव (हेजिग) के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
•ऑप्शन ट्रेडिंग में निवेश की लागत आम तौर पर स्टॉक ट्रेडिंग में आवश्यक निवेश का 3-4% है।
•टैक्स मैनेजमेंट (टैक्स प्रबंधन) ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading), टैक्स के प्रबंधन में भी बहुत मदद करता है क्योंकि पूरे पूंजीगत लाभ पर चुकाया गया टैक्स केवल प्रीमियम पर चुकाए गए टैक्स से होता है।
Future & Option Trading के नुकसान
•इसी तरह, जब हम ट्रेडिंग के इस रूप से जुड़े जोखिमों के बारे में बात करते हैं, तो यह निश्चित रूप से यहाँ भी है।
•ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) में अधिकांश ट्रेडर्स वास्तव में यह नहीं समझते हैं कि यह कैसे काम करता है। जाहिर है, यह रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन आपको सभी प्रकार के परिवर्तन पर विचार करना आवश्यक है। जो कि स्टॉक के साथ भी होने की संभावना है।
•आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली रणनीति के आधार पर, अधिकांश समय, मोनेटरी अमाउंट जो जोखिम में होती है, मूल रूप से आप कॉन्ट्रैक्ट के लिए भुगतान करते हैं।